कभी कभी भूलना भी याद करना होता है.....
एक समय ऐसा आता है जब हम बहुत कुछ भूलने लगते हैं। ये विस्मरण, बढ़ती उम्र और तनाव की देन है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हम उन्हीं चीजों को भूलते हैं जिन्हें हमारा मन स्वीकार नहीं करना चाहता। असल में रोजमर्रा की जिंदगी में हम मन के विपरीत बहुत सी चीजें ओढ़ लेते हैं। हमारे जीवन में कई ऐसी अनचाही चीजें शामिल हो जाती हैं जिनसे अवचेतन में हम छुटकारा पाना चाहते हैं। इनका बोझ हमें भुलक्कड़ बना देता है और एक दिन हम पाते हैं कि हम उन्हीं चीजों को भूलते जा रहे हैं जिन्हें हम अपने लिए सबसे आवश्यक मानते हैं। दरअसल हम जिन्हें अपने लिए आवश्यक समझ रहे होते हैं, उसे हमारा मन रिजेक्ट कर रहा होता है। यानी भूलना एक तरह से याद दिलाना भी है। विस्मरण हमें याद दिलाता है कि अपने मन की सुनो। अपने मन के मुताबिक थोड़ा तो जीकर देखो। अगर हम अपने मन की पुकार सुनें तो भूलना कम कर देंगे। कुछ भूलने की बातें, कुछ यादों की बातों के साथ सीजी रेडियो में आज प्रस्तुत है गीतों की बहार....
10 comments:
Awaz Ke Duniya Ke Doston....Kaise Bhula Sakate Hain Aap Logon Ko? Gaane Bahuta Achhe Hain...Dairy to khaasa raha...Gazal Khaasa raha...Isi Taraha Aap Bhi Yaad Aate Hain....
भूलकर भी मैं ना भूलूंगी आपकी आवाज़ को शुभी जी... :)
सुन्दर गीतों की बहार बहुत सुहानी लगी... शुक्रिया
बहुत सुंदर ..
अब नहीं भूल सकेंगे आपको !!
bahut badiya
सचमुच गीतों की बहार आ गयी, बढ़िया प्रस्तुतीकरण।
Good hai bhai.
Thank ypu very much Sandhya ji.
सुन्दर मीठी मीठी आवाज में शानदार लगी गीतों की बहार !
Post a Comment