गीतांजलि गीत का संदेश दामिनी के नाम,
दुनिया की हर बेटी के नाम........
दुनिया की हर बेटी के नाम........
दामिनी तुम्हें शत शत नमन, वंदन,
लिंक- गीतांजलि गीत
www.cgradio.net
पर आपकी रचनाओं के प्रसारण के लिये हमें आप मेल कर सकते हैं इस पते पर
cgradio123@yahoo.in
11 comments:
जिस घर बेटी जन्म न लेती,उसका निष्फल हर आयोजन
सब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
मिलना-जुलना आना-जाना, यह समाज का ताना बाना
बिन बेटी कैसे अभिवादन, वंदन वंदन नहीं रहेगा
बेटी की किलकारी के बिन,आँगन आँगन नहीं रहेगा,
आँगन आँगन नहीं रहेगा,आँगन आँगन नहीं रहेगा
ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शान्ति दे दामिनी ... विनम्र श्रद्धांजलि
वंदना गुप्ता ने गीतांजलि गीत के 'दामिनी के नाम इस संदेश' को पढ़ने के बाद अपने उद्गार हमें भेजे हैं - अभी ब्लॉग पर पढ़ा दामिनी के नाम सन्देश के लिए तो अपने उद्गार भेज रही हूँ सही समझें तो शामिल करियेगा
मेरी आत्मा
लाइलाज बीमारी से जकडी
विवश खडी है इंसानियत के मुहाने पर
मुझे भी कुछ पल सुकून के जीने दो
लगा गुहार रही है इस नपुंसक सिस्टम से
मेरी सडी गली कोशिकाओं को काट फ़ेंको
ये बढता मवाद कहीं सारे शरी्र को ही
ना नेस्तनाबूद कर दे
उससे पहले
उस कैंसरग्रस्त अंग को काट फ़ेंकना ही समझदारी होगी
क्या आत्मा मुक्त हो सकेगी बीमारी से
इस प्रश्न के चक्रव्यूह मे घिरी
निरीह आँखों से देख रही है
लोकतंत्र की ओर
जनतंत्र की ओर
मानसतंत्र की ओर
क्या संभव है सुदृढ़ इलाज ?????????
वह सोये हुए मुल्क को जगा गई. विनम्र श्रद्धांजलि
bahut pyari awaz geet ji .. bahut hi achhai prastuti hai .. wah .. bhavpurn ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (31-112-2012) के चर्चा मंच-1110 (साल की अन्तिम चर्चा) पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ईश्वर दामिनी की आत्मा को शांति प्रदान करे.
विनम्र श्रद्धांजलि
लोकतंत्र की ओर
जनतंत्र की ओर
मानसतंत्र की ओर
क्या संभव है सुदृढ़ इलाज ????????? ..
--मानस तंत्र ... यही तो यक्ष प्रश्न है... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
तुम्हारे साहस का अभिनंदन....
पहले दुस्साहस को चेतावनी ...परन्तु बाद के साहस को अभिवादन......
विनम्र श्रद्धांजलि
Post a Comment