Tuesday, January 8, 2013

गीतों की बहार 2 रूठना-मनाना

आज बातें रूठने मनाने की
स्‍वर व स्‍क्रि‍प्‍ट - पद्मामणि

कोई रूठे अगर अपना कभी 
तो उसे फौरन मना लेना चाहि‍ये
क्‍योंकि
जि‍द की जंग में अक्‍सर 
दूरि‍यां जीत जाती हैं

.
                                         



cgradio123@yahoo.in पर प्रसारण के लि‍ये भेजि‍ये अपनी रचनाएं 

11 comments:

Unknown said...

achha hai...

संध्या शर्मा said...

वाह... वाह... पद्मामणि जी आपकी आवाज़ बहुत ही अच्छी लगी और स्क्रिप्ट का तो जवाब ही नहीं..
"निगाहों से छुपकर दिखाओ तो जाने... नज़र आइयेगा... जहाँ जाइएगा हमें पाइयेगा... फिर भी ना माना तो देके खिलौना बहला लेंगे.. " क्या बात है सारे गीत हमारे मनपसंद हैं... खुश हैं हम...शुक्रिया :)

दर्शन कौर धनोय said...

अल्लाह ! ये अदा कैसी है इन हसिनाओ में ...वाह !क्या गीत है ..

pcpatnaik said...

Sahi Kaha Aapne....Sandhya ji...

pcpatnaik said...

Nigahon se chhupakar dikhao to jaanein....Bahut Achha Laga....Yeh isi taraha Jaaree rahana chahiye....Sangya ji...

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह....
बहुत बढ़िया...
बधाई!!!

अनु

संगीता पुरी said...

वाह ..
बहुत बढिया ..

अरुन अनन्त said...

वाह क्या कहने बहुत ही बढ़िया

vishu said...

GUd!

shweta said...

sunkar bahot aanand aa gaya

Guru Ji said...

वाह....
बहुत बढ़िया...
बधाई!!!
get your love back

Post a Comment