Monday, January 14, 2013

मकर संक्राति और पतंग

 
मकर संक्राति के अवसर पर पतंग की बातों के साथ गीतों का झरोखा
 
पतंगें उडती हैं हमारे सपनों से भी उंची और इससे डोर बंधी होती है
हमारी इच्‍छाओं, आकांक्षाओं से भी से भी ज्‍यादा मजबूत...
आपकी इच्‍छाएं और सपने हकीकत में तब्‍दील हों, बहुत उंचाइयों तक नाम पहुंचे...
सीजी रेडि‍यो की कामना....इस मकरसंक्रांति‍ पर आपके लि‍ये......

                                                 
        प्रस्तुति‍ - संज्ञा टंडन
 
 
रामचरित मानस में महाकवि तुलसीदास ने बालकांड उल्लेख किया है, 
उस वक्‍त का जब श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी।
 
  राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुँची जाई॥
   जासु चंग अस सुन्दरताई। सो पुरुष जग में अधिकाई॥
 
          
               
 
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2 comments:

संध्या शर्मा said...

बहुत सुन्दर... पूरी सी जी रेडियो टीम को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें....

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुदर प्रस्तुति …… पतंग से पतंगा तक। मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

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